कमल की पंखुड़ी की तरह खिल जा
देख सूरज की रौशनी को
फरक न पड़ता इस में
कि वह पैदा हुआ कीचड़ में
स्वच्छ पानी से धुल
एक दिन चढ़ जायेगा
भगवन के चरण में